आत्मरक्षा (self defence ) या निजी रक्षा क्या है ?
आत्मरक्षा या निजी रक्षा क्या है ? (self defence)
1-व्यक्ति स्वयं की रक्षा किसी भी हमले या अंकुश के खिलाफ कर सकता है ।
2-व्यक्ति स्वयं की संपत्ति का रक्षा किसी भी चोरी, डकैती, शरारत व अपराधिक अतिचार के खिलाफ कर सकता है।
आत्मरक्षा के अधिकार के सिद्धांत
1-आत्मरक्षा का अधिकार रक्षा या आत्मसुरक्षा का अधिकार है । इसका मतलब प्रतिरोध या सजा नहीं है।
2-आत्मरक्षा के दौरान चोट जितने जरुरी हों उससे ज्यादा नही होने चाहिए ।
3-ये अधिकार सिर्फ तभी तक ही उपलब्ध हैं जब तक कि शरीर अथवा संपत्ति को खतरे की उचित आशंका हो या जब कि खतरा सामने हो या होने वाला हो।
आत्मरक्षा को साबित करने की जिम्मेदारी अभियुक्त की होती है
1-आपराधिक मुकदमों में अभियुक्त को आत्मरक्षा के अधिकार के लिए निवेदन करना चाहिए।
2-ये जिम्मेदारी अभियुक्त की होती है कि वह तथ्यों व परिस्थितियों के द्वारा ये साबित करे कि उसका काम आत्मरक्षा में किया गया है।
3-आत्मरक्षा के अधिकार का प्रश्न केवल अभियोग द्वारा तथ्यों व परिस्थितियों के साबित करने के बाद ही उठाया जा सकता है ।
4-अगर अभियुक्त आत्मरक्षा के अधिकार की गुहार नहीं कर पाता है, तब भी न्यायालय को ये अधिकार है कि अगर उसे उचित सबूत मिले तो वह इस बात पर गौर करे। यदि उपलब्ध साक्ष्यों से ये न्याय संगत लगे तब ये निवेदन सर्वप्रथम अपील में भी उठाया जा सकता है ।
5-अभियुक्त पर घाव के निशान आत्मरक्षा के दावे को साबित करने के लिए मददगार साबित हो सकते हैं ।
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