Friday, February 12, 2021

What is cornflour in hindi

 

कॉर्नफ्लोर क्या है और मक्के के आटे और कॉर्न फ्लोर में अंतर | What is Cornflour and Benefits, Uses, difference in Hindi


कॉर्नफ्लोर और मक्के का आटा क्या है, इसके फायदे एवं उपयोग, मक्के के आटा और कॉर्न फ्लोर में अंतर (white Cornflour Benefits and Uses, difference between Cornflour or cornmeal flour in Hindi, ararot)

दुनिया में कई तरह के अनाज उगाये जाते हैं, जोकि अलग – अलग तरह से उपयोग किये जाते हैं. जिसके विभिन्न फायदे भी होते हैं. आज हम ऐसे ही एक अनाज के स्टार्च रूप के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसका उपयोग कई तरह के खाद्य पदार्थों को बनाते समय किया जाता है और वह काफी फायदेमंद भी होता हैं. उस अनाज का नाम मक्का है और यहाँ हम मक्का के स्टार्च रूप यानि मक्के के आटे (कॉर्नफ्लोर) की बात करने जा रहे हैं. तो आइये जानते हैं मक्के के आटे के उपयोग एवं उसके फायदे के बारे में.

Cornflour

मक्के के आटे और कॉर्नफ्लोर में अंतर क्या है ? (What is difference between  Cornflour or cornmeal flour)

कॉर्नफ्लोर, मक्के के आटे से थोड़ा अलग होता है. मक्के का आटा कॉर्नमील फ्लोर (cornmeal flour) होता है, क्योंकि यह मक्के के दानों को सुखाकर पीसकर बनाया जाता हैं, मक्के का आटा आमतौर पर पीला होता है. यह दरदरा या बारीक होता है.


जबकि कॉर्नस्टार्च (corn starch) या कॉर्न फ्लोर (Cornflour) मक्के का स्टार्च होता है. कॉर्न फ्लोर बनाने के लिए मक्के के दानों से छिलका हटाकर पीसकर बनाया जाता है. यह सफेद रंग का पाउडर की तरह होता है. इसकी बनावट चिकनी एवं स्मूथ होती हैं, जोकि बहुत हद तक गेंहू के आटे (मैदा) की तरह होती है.

कॉर्नफ्लोर में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Nutrition Value in Cornflour)

कॉर्नफ्लोर की एक बड़ी चम्मच में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की सूची हम यहाँ प्रदर्शित करने जा रहे हैं –


क्र. म.पोषक तत्वपोषक तत्वों की मात्रा
1.एनर्जी44 कैलोरीज
2.प्रोटीन1.1 ग्राम
3.कार्बोहाइड्रेट9.1 ग्राम
4.फैट0.5 ग्राम
5.फाइबर1.2 ग्राम
6.विटामिन बी 1 (थियामाइन)0.17 mg
7.विटामिन बी 2 (राइबोफ्लेविन)0.09 mg
8.विटामिन बी 3 (नियासिन)1.17 mg
9.फोलेट विटामिन बी 927.9 एमसीजी
10.कैल्शियम16.9 mg
11.आयरन0.86 mg
12.मैग्नीशियम13.2 mg
13.फॉस्फोरस26.7 mg
14.जिंक0.22 mg
15.पोटैशियम35.7 mg

कॉर्नफ्लोर के उपयोग (Uses of Cornflour)

कॉर्नफ्लोर का उपयोग मुख्य रूप से रसोईघर में किया जाता हैं, लेकिन इसके साथ ही साथ यह कुछ बीमारियों के लिए मेडिकल थेरेपी के रूप में भी उपयोग होता है. इस उत्पाद का उपयोग कहाँ – कहाँ किया जाता है, इसके बारे में जानकारी इस प्रकार है –

  • आपके रसोई घर में कॉर्नफ्लोर का उपयोग कटलेट, कोफ्ता या इसी तरह के कुछ डीप फ्राइड फूड बनाते समय इसे बांधने के लिए किया जाता है.
  • इसके अलावा जब आप कोई सॉस, स्टेव और सूप बनाते हैं, तब उसे गाढ़ा करने के लिए भी कॉर्नफ्लोर का उपयोग किया जाता है.
  • जब आप दूध को गाढ़ा कर कुछ बनाना चाहते हैं, किन्तु दूध पतला होने के कारण वह जल्दी गाढ़ा नहीं हो पाता हैं, तब आप उस समय दूध में थोड़ा सा कॉर्नफ्लोर घोल कर मिला सकते हैं. ऐसे करने से दूध को गाढ़ा करने में मदद मिलती हैं. इससे कई स्वादिष्ट व्यंजन जैसे आइसक्रीम आदि घर पर बनाये जा सकते हैं.
  • यह आमतौर पर पाउडर चीनी में एक एंटीकैकिंग एजेंट के रूप में शामिल किया जाता है. इसे अरारोट का सब्सटीट्यूट भी कहा जा सकता है.
  • कॉर्नस्टार्च का उपयोग बेकिंग के पहले फलों को कोट करने के लिए भी किया जा सकता है, जिससे आप उससे पाई, टार्ट और अन्य डिजर्ट बना सकते हैं. कॉर्नस्टार्च की पतली परत फलों के रस के साथ मिश्रित होती है, और फिर इसे बेक करती है.
  • कॉर्नस्टार्च को एक एंटी-कैकिंग एजेंट के रूप में भी उपयोग किया जाता है. कटा हुआ पनीर को अक्सर कॉर्नस्टार्च के पतले से घोल के साथ लपेटा जाता है ताकि जब इसे सेंका जाए तो यह बिखरे नहीं. और इससे पनीर अच्छी तरह से और एक सा सिक जाता है.
  • खाने के व्यंजनों के अलावा कॉर्नफ्लोर या कॉर्नस्टार्च का उपयोग बेबी पाउडर में भी किया जाता है. कॉर्नस्टार्च का उपयोग बायोप्लास्टिक्स एवं एयरबैग के निर्माण में भी किया जा सकता है.
  • इसके साथ ही चिकित्सा में भी कोर्नस्टार्च का उपयोग होता है, दरअसल कोर्नस्टार्च या कॉर्नफ्लोर प्राकृतिक लेटेक्स से बने मेडिकल उत्पादों जिसमें कंडोम्स, डायाफ्राम और मेडिकल ग्लव्स शामिल है. में एक पसंदीदा एंटी – स्टिक एजेंट होता हैं.
  • ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज वाले लोगों के लिए ब्लड शुगर के स्तर को बनाये रखने के लिए कॉर्नफ्लोर उपयोगी होता हैं, क्योंकि इसमें ग्लूकोस की सप्लाई को सक्षम करने के गुण मौजूद होते है. इसका उपयोग 6 से 12 महीने की उम्र में शुरू किया जा सकता है, जिससे ग्लूकोस के उतार – चढ़ाव को रोका सकता है.

इस तरह से कॉर्नफ्लोर का उपयोग अपने दैनिक जीवन में किया जाता है.


कॉर्नफ्लोर के फायदे (Benefits of Cornflour)  

  • कॉर्नफ्लोर में ग्लूटेन नहीं होता है, और इसका उपभोग केवल वे लोग करते हैं, जो गेंहू और इसके उत्पाद जैसे मैदा और सूजी को स्टोक करके रखने में असमर्थ होते हैं. उनके लिए यह अच्छा विकल्प है.
  • मूल रूप से कॉर्नफ्लोर में विशेष प्रकार का पॉलीफेनोल्स एंटीओक्सिडेंट होता हैं. जोकि आपके शरीर की सूजन को कम करके आपके स्वास्थ्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है.
  • आश्चर्य की बात यह है, कि इसमें फाइबर की मात्रा अच्छी होती है. प्रत्येक बड़ी चम्मच में लगभग 1 ग्राम फाइबर मौजूद होता है. जोकि एक वयस्क मानव शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है. इसी तरह से इसमें प्रोटीन भी अधिक मात्रा में होता है.
  • इसमें मौजूद अघुलनशील फाइबर जैसे ऐमिलोस, सेल्यूलोस और लिग्निन के कारण यह पाचन क्रिया को आसान कर देता हैं, जोकि आँतों के लिए लाभकारी होता है.

कॉर्नफ्लोर से होने वाले नुकसान (Effects of Cornflour)

कॉर्नफ्लोर एक ऐसा उत्पाद हैं जिसके फायदे के साथ – साथ कई सारे नुकसान भी है, जोकि इस प्रकार है –

  • ऑर्गेनिक रूप में उगाये गये कॉर्न जिसको आटा बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, उसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और रेसिस्टेंट स्टार्च होता है, जो शरीर के विभिन्न भागों के सुचारू रूप से संचालन करने में मददगार होता है. किन्तु अधिकतर बाजार में उपयोग किये जाने वाले कॉर्न जेनेटिकली रूप से संशोधित किये जाते हैं, और साथ ही उस पर खतरनाक कीटनाशकों के छिड़काव भी किये जाते हैं. जोकि मानव शरीर के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं होता है. एक शोध से पता चला हैं कि यह सभी फ्रक्टोस कॉर्न सिरप में अधिक होता हैं, जोकि कैंसर, फैटी लीवर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसी बीमारियों से जुड़े हैं.
  • इसे जब जेनेटिकली रूप से संशोधित किया जाता हैं, तो काफी हद तक इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों के अवशोषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है. यह फ़ाइटिक एसिड में उच्च होता है, जो शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित करने और उसका उपयोग करने से रोकता है.
  • कॉर्नफ्लोर में बहुत अधिक कैलोरीज एवं कार्बोहाइड्रेट होता है, जोकि वजन कम करने के लिए बाधा उत्पन्न करता है. इसमें अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होने के कारण यह डायबिटीज के मरीज के शरीर में ब्लड ग्लूकोस के स्तर को तुरंत बढ़ा देता है, जो बाद में फैट में परिवर्तित हो जाता है. इसलिए यह डायबिटीज एवं मोटापा की बीमारी वाले लोगों के लिए वजन कम करने वाली डाइट में शामिल नहीं किया जाता है.
  • कॉर्नफ्लोर का अधिक मात्रा में उपयोग होने से यह आपके शरीर में एलडीएल को बढ़ा सकता हैं जोकि एक खराब कोलेस्ट्रॉल होता है. यदि यह आपके शरीर में ऑक्सीडाइज्ड हो जाता है तो यह एथेरोस्क्लेरोसिस का कारण बन सकता है. साथ ही इसका अधिक उपयोग करने से हृदय सम्बंधित समस्याएं भी हो सकती हैं.

नोट :- हालाँकि यह सब चीजें कॉर्न की सोर्सिंग और प्रोसेसिंग पर निर्भर करती है, कि आटा स्वस्थ है या नहीं. तो आप सेफ साइड के लिए पैक किये गये कॉर्न का उपयोग करने के बजाय ताजे कॉर्न का इस्तेमाल करें और घर पर ही आटा बनाएं, जो उपयोग करने में आसान एवं स्वस्थ होगा.

कॉर्नफ्लोर का स्टोरेज (Storage of Cornflour)

चूंकि कॉर्नफ्लोर या कॉर्नस्टार्च नमी को अवशोषित करता है, इसलिए इसे एयर – टाइट कंटेनर में रखना चाहिए, जिससे यह नमी के संपर्क में नहीं आयेगा. इसे अत्यधिक गर्म स्थान पर नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि इसे सील किये हुए कंटेनर में रखकर उस कंटेनर को ठंडी और सूखी जगह पर रखा जाना चाहिए. यदि यह सही तरीके से स्टोर किया गया हैं, तो यह कई सालों तक चल जाता है.

इस तरह से कॉर्नफ्लोर के फायदे के साथ – साथ कुछ नुक्सान भी हैं, अतः इसका उपयोग अधिक मात्रा में न करना आपके लिए बेहतर होगा.

कॉर्न फ्लोर और मक्के के आटे में क्या अंतर है?

मक्के का आटा बनाने के लिए मक्के के दानों को सुखाकर उसे पीसा जाता है. यह दरदरा होता है, जो पीले रंग का होता है. जबकि कॉर्न फ्लोर मक्के की उपरी  परत को निकालकर पीसा जाता है. यह एक चिकना और सफ़ेद होता है.

मकई के आटे से क्या क्या बनाया जा सकता है?

यह आटा दरदरा होता है, इसका उपयोग पराठे, मक्के की रोटी, बाफले, ढोकले बनाने में किये जाता है. जबकि कॉर्न फ्लोर का उपयोग बिलकुल अलग होता है.

कॉर्नफ्लोर का क्या उपयोग है?

कॉर्न फ्लोर से किसी तरह की रोटी पराठे तो नहीं बनाये जाते है, लेकिन इसे किसी भी स्नैक जैसे कटलेट, रोल, डीप, पास्ता आदि में उपयोग किया जाता है.

बेकिंग सोडा का उपयोग लाभ एवं नुकसान | Baking Soda uses health benefits and side effects in hindi

 बेकिंग सोडा का उपयोग लाभ एवं नुकसान Baking Soda uses, benefits and side effects in hindi 

बेकिंग सोडा एक शुद्ध पदार्थ है, यह क्षारीय होने के साथ ही थोडा नमकीन स्वाद लिए भी होता है. इसको सोडियम बाइकार्बोनेट के नाम से भी जाना जाता है. इसका रसायनिक नाम NaHCO3 है. बहुत से लोग इसे नमक के रूप में कई नामों जैसे ब्रेड सोडा, कुकिंग सोडा से इसे जानते है. इसका इस्तेमाल हम खाने के साथ ही कपड़ो और घर के फर्नीचर की साफ़ सफाई में भी करते है. साथ ही इसका इस्तेमाल त्वचा की देखरेख के लिए भी किया जाता है. इसमें प्राकृतिक रूप से नाकोंलाइट पाया जाता है, जो कि एक खनिज नाट्रन होता है. यूरोपीय संघ ने इसे एक खाद्य योजक के रूप में चिन्हित किया.   





बेकिंग सोडा का इतिहास (Baking Soda history)

1791 में एक फ्रेंच रसायनशास्त्र के वैज्ञानिक निकोलस लेब्लांस ने सोडियम बाईकार्बोनेट अर्थात बेकिंग सोडा की खोज की. 1846 में पहली बार इसकी फैक्ट्री की स्थापना न्यू यॉर्क के दो बेकर्स जॉन डवाइट और ऑस्टिन चर्च ने कर सोडियम बाईकार्बोनेट और कार्बन डाईऑक्साइड के रूप इसको विकसित की. रुडयार्ड किपलिंग ने अपने उपन्यास में इसको एक यौगिक के रूप में संदर्भित करते हुए बताया है कि सन 1800 में वाणिज्यक रूप से इसका इस्तेमाल मछलियों को सड़ने से बचाने के लिए होता था.   

बेकिंग सोडा से नुकसान (Baking Soda side effects)

  • बेकिंग सोडा का इस्तेमाल ज्यादा नहीं करना चाहिए, क्योकि इससे इलेक्ट्रोलाइट और एसिड में असंतुलन का खतरा बढ जाता है, जोकि शरीर को गंभीर नुकसान पंहुचा सकता है.
  • अतिसवेदंशील त्वचा पर भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. साथ ही आँखों के आस पास भी इसका उपयोग नहीं करना चाहिए. कटे तथा चोट के निशान पर भी इसको नहीं लगाना चाहिए, अन्यथा ये त्वचा में खुजली जैसी समस्या को बढ़ा सकता है.  
  • अगर आप किसी भी तरह के दवा का सेवन कर रहे है, तो दवा खाने के 2 घंटे पहले और बाद तक बेकिंग सोडा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योकि ये दवा के प्रभाव को प्रभावित कर सकता है. 6 साल से कम उम्र के बच्चों को इसका सेवन कराने से पहले डॉ. से सलाह ले लेना चाहिए.
  • इसके ज्यादा इस्तेमाल से उल्टी जैसा महसूस होता है, सिर दर्द, चिडचिडापन, मांसपेशियों में कमजोरी, जोड़ों में दर्द जैसी शारीरिक लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉ. से सम्पर्क करना चाहिये. उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति को इसका सेवन नहीं करना चाहिए.        

बेकिंग सोडा का इस्तेमाल (Baking Soda uses)

  • बेकिंग सोडा का इस्तेमाल बेकिंग अर्थात खाने को पकाने, मामूली चोटों, मुंह के दुर्गन्ध को दूर भागने, कीड़ों के डंक के जहर को कम करने में भी किया जाता है.
  • इसके इस्तेमाल से कड़ी सब्जियों को नरम बनाया जा सकता है. एशियाई और लैटिन अमेरिका के व्यंजनों में मांस को पकाने में अभी भी इसका उपयोग होता है.
  • बेकिंग सोडा को भोज्य पदार्थ में मिलाने से विटामिन सी मिलता है. यह अम्लीय घटकों के साथ प्रतिक्रिया करके कार्बन डाईऑक्साइड बनाता है, जोकि खाद्य पदार्थो को नरम बना कर स्वाद में बढ़ोतरी करता है.
  • इसका इस्तेमाल केक, ब्रेड, पेंकेक्स के साथ ही तले हुए भोज्य पदार्थ में भी होता है.
  • कीड़े मकोड़े खासकर तेलचटा को मारने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, इसमें मौजूद गैस की वजह से कीड़ों के अंग क्षतिग्रस्त हो जाते है. 
  • सोडियम बाई कार्बोनेट के इस्तेमाल को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में पर्यावरण संरक्षण एजेंसी द्वारा जैव कीटनाशक के रूप में पंजीकृत कर लिया गया है.
  • शरीर में एलर्जी के प्रभाव को भी कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.
  • इसका इस्तेमाल पेंट और जंग को हटाने में भी होता है.
  • पीएच अर्थात क्षारीय गुण होने की वजह से यह तालाबों और बगीचों की भी साफ सफाई में उपयुक्त है. साथ ही इसका इस्तेमाल चांदी को साफ़ करने में भी किया जाता है और कपड़ों पर पड़े चाय या किसी भी तरह के पुराने दागों को हटाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.
  • सोडियम बाईकार्बोनेट का इस्तेमाल पटाखों, बारूद बनाने के लिए भी होता है, इसमें कार्बन डाईऑक्साइड होने की वजह से यह दहन के प्रभाव को बढ़ा देता है.
  • इसमें संक्रमण को रोकने की क्षमता होती है. कुछ जीवाणु के खिलाफ जैसे कि अगर किताबों में दीमक लग जाने की वजह से वो खराब हो जाते है, तो ऐसे कवक नाशक के रूप में यह बहुत ही प्रभावी हो सकता है.              

बेकिंग सोडा का त्वचा के लिए उपयोग (Baking Soda uses for skin)

त्वचा के लिए बेकिंग सोडा को निम्न प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है-

  • त्वचा को गोरा बनाने के लिए : त्वचा के ऊपर से मृत त्वचा को हटाने के लिए एक बड़े चम्मच पानी के साथ दो चम्मच बेकिंग सोडा को मिलाकर पेस्ट बना ले, और प्रभावित त्वचा पर लगा कर धीरे धीरे गोल घुमा कर मालिस करे और उसे थोड़ी देर के लिए छोड़ दे. सूखने के बाद हल्के गुनगुने पानी से इसे साफ़ करने के बाद त्वचा को सुखा ले. इस प्रक्रिया को आप चाहे तो हफ्ते में 3 से 4 बार अपना सकते है. इसके अलावा आप चाहे तो बेकिंग सोडा को पानी के अलावा छाछ, बादाम का दूध या गुलाबजल में भी मिला कर लगा सकते है. साथ ही आप अपने क्लीनर में भी इसको मिला कर इस्तेमाल कर सकते है. इसको करने से आपकी त्वचा तरोताजा दिखेंगी. 
  • त्वचा को नमी युक्त रखने के लिए : आप बेकिंग सोडा को शहद के साथ मिलाकर लगा सकते है. शहद में बैक्ट्रिया से लड़ने का गुण होता है, साथ ही यह सनबर्न के नुकसान से भी बचाता है. इसका उपयोग करने के लिए आप 1 चम्मच बेकिंग सोडा और 2 चम्मच शहद को मिला कर इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर लगाये और 15 मिनट के लिए सूखने के लिए छोड़ दे फिर इसे ठंडे पानी से धो ले. आप चाहे तो 1 चम्मच बेकिंग सोडा को जैतून का तेल और आधा चम्मच शहद इन सबको मिला कर गोल गोल घुमाते हुए मसाज करके 10 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो ले. इस प्रक्रिया को आप हफ्ते में एक बार अपना सकते है.
  • त्वचा को स्क्रब करने के लिए : दलिया या जई के आटे के साथ बेकिंग सोडा का इस्तेमाल आपके त्वचा को स्क्रब कर साफ़ करते हुए त्वचा की कोशिकाओ को सक्रीय करने में मदद करता है. इसके लिए आप एक चम्मच बेकिंग सोडा के साथ पानी और दो चम्मच जई का आटा मिला कर त्वचा पर लगाये, और हलके हाथों से स्क्रब करके 2 से 3 मिनट के बाद धो ले. इसके अलावा आप चाहे तो इसमें शहद भी मिला कर 15 मिनट तक पेस्ट को चेहरे और गले की त्वचा पर लगा कर सुखाने के बाद धो ले.
  • शरीर की सफाई के लिए : बेकिंग सोडा से नहाने के बाद शरीर सभी विषाक्त पदार्थों से बच जाता है, और उसे आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते है. इसके लिए आप 2 कप एप्सोम नमक और 1 कप बेकिंग सोडा अगर आप चाहे तो इसमें मक्के का स्टार्च भी मिला सकते है, आप इसको अपने पुरे शरीर की सफाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है. यदि आप चाहे तो सिर्फ बेकिंग सोडा को ही अपने बाथ टब में डाल कर उस पानी में अपने को 10 मिनट तक भिगो कर स्नान कर सकते है. इस प्रक्रिया से बदन की सारी गन्दगी साफ़ हो जाएगी.
  • ब्लीचिंग एजेंट के लिए : बेकिंग सोडा को नींबू के साथ त्वचा पर लगाने से यह ब्लीचिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है. इस मिश्रण में विटामिन सी मौजूद होता है. इसके लिए आप आधा कप बेकिंग सोडा के साथ नींबू का रस और चाहे तो इस मिश्रण में शहद या किसी भी तेल की कुछ बुँदे भी मिला सकते है. सबको अच्छे से मिश्रित करके हलके हाथों से रगड़े और फिर इसे साफ़ कर ले. इसके अलावा आप 2 चम्मच गरम पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा और नींबू के रस को मिला कर रुई की मदद से अपनी त्वचा पर लगाये, इस प्रक्रिया को आप नियमित रूप से कर सकती है इससे त्वचा गोरी रंगत में बदलते हुए कांतिमय दिखने लगती है. आप चाहे तो नींबू की रस की जगह अंगूर या संतरे के पल्प का भी उपयोग कर सकते है.
  • त्वचा की गहराई से सफाई के लिए : त्वचा की गहराई से सफाई करने के लिए बेकिंग सोडा के साथ सेव के सिरके का भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए 2 चम्मच बेकिंग सोडा और 3 बड़े चम्मच सेव के सिरके को मिलाकर पेस्ट बनाकर त्वचा के ऊपर लगाकर 15 मिनट तक सुखाने के बाद हल्के गुनगुने पानी से धो दे. फिर त्वचा को सुखाने के बाद इस पर मॉइस्चराइजर लगा ले. इस प्रक्रिया को आप सप्ताह में एक या दो बार कर सकते है. अगर आप की त्वचा संवेदनशील है तो आप इस पेस्ट में नींबू के साथ पानी का भी इस्तेमाल जरुर करे.
  • त्वचा से काले धब्बे हटाने के लिए : त्वचा पर पिगमेंटेसन की वजह से काले धब्बे पड़ जाते है, इनको ठीक करने के लिए बेकिंग सोडा, नारियल का तेल, नींबू का रस और चाय के पेड़ का तेल लगाने से ये धब्बे ठीक हो जाते है. साथ ही त्वचा पर असमय जो झुरियां पड़ जाती है, रोम छिद्र बड़े हो जाते है वो सभी को इनके इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है. क्योकि नारियल के तेल के उपयोग से त्वचा की जलन को कम किया जाता है साथ ही चाय के पेड़ के तेल में एंटी फंगल और एंटीसेप्टिक गुण होते है जोकि त्वचा के लिए काफ़ी फायदेमंद होते है. इसका इस्तेमाल करने के लिए आप आधा चम्मच ताजे नींबू के रस, एक चम्मच बेकिंग सोडा, 2 चम्मच नारियल का तेल और 2 से 4 बूंद चाय का तेल इन सब को मिलाकर इसका पेस्ट तैयार करके प्रभावित त्वचा पर लगाये इस प्रक्रिया को आप हफ्ते में एक से दो बार आजमा सकती है. इसका प्रभाव आपको त्वचा संबंधी सारी समस्याओं से मुक्ति दिलाने में दर्शित होगा. इसके साथ ही जब भी धुप में निकले चेहरे पर सनस्क्रीम का इस्तेमाल जरुर करे. 
  • दमकती त्वचा के लिए : बेकिंग सोडा को हाइड्रोजन पेरोक्साइड के साथ मिलाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा प्राकृतिक रूप से रसायनिक प्रतिक्रिया करके त्वचा की पीलिंग का कार्य करती है जिस वजह से त्वचा दमकती हुई दिखाती है. इस पेस्ट को अतिसंवेदनशील त्वचा पर नहीं लगाना चाहिए. दो चम्मच नींबू का रस, एक चौथाई चम्मच दही, एक अंडा और एक चम्मच बेकिंग सोडा को मिला कर इसका पेस्ट तैयार कर ले, फिर इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर 15 से 20 मिनट तक लगाये और इसे पहले गुनगुने पानी से धो कर फिर ठंडे पानी से धो ले. इसके बाद त्वचा पर मॉइस्चराइजर लगा ले. इस प्रक्रिया को आप सप्ताह में दो बार कर सकती है. यह पेस्ट एक बहुत अच्छे क्लींजर का काम करता है.
  • त्वचा की अन्य समस्याओं से बचने के लिए : बेकिंग सोडा को स्ट्राबेरी के साथ मिलाकर लगाने से यह त्वचा पर मौजूद अतिरिक्त गंदगी को साफ़ करते हुए यह त्वचा की अन्य समस्याओं से बचाता है. साथ ही यह त्वचा को गोरा करने के साथ ही मेलानिन के स्तर को भी नियंत्रित रखता है. इसके लिए आप 1 स्ट्राबेरी को अच्छे से मैश करके उसमे 1 चम्मच बेकिंग सोडा को मिला कर चेहरे और गर्दन पर लगाकर 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दे, फिर इसे हलके हाथों से रगड़ते हुए हटा दे और ठंडे पानी से धो ले.
  • त्वचा को चमकदार बनाने के लिए : बेकिंग सोडा का इस्तेमाल अगर टमाटर के रस के साथ किया जाये तो यह तुरंत ही त्वचा को चमकता हुआ और कांतिमय बनाने में सहायक है. इसके लिए एक मध्यम आकार के टमाटर के रस को निचोड़ ले, फिर उसमे एक छोटा चम्मच बेकिंग सोडा को मिलाकर पेस्ट बनाये और इसे चेहरे पर 20 मिनट के लिए लगा कर सुखा ले, फिर इसे ठन्डे पानी से धो ले. आप चाहे तो इस प्रक्रिया को प्रतिदिन आजमां सकते है. एक चम्मच कॉर्न फ्लोर, एक चम्मच हल्दी, थोडा सा नींबू के रस के साथ गुलाबजल और बेकिंग सोडा को मिला कर लगाने से भी यह चेहरे पर ब्लीच पैक की तरह कार्य करते हुए त्वचा के गहरे दाग जले और कटे के निशान को हल्का करने में मदद करता है.

नोट : यह हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि जब भी आप बेकिंग सोडा का इस्तेमाल किसी भी रूप में त्वचा पर कर रहे हो, तो तुरंत साफ़ करने और सुखाने के बाद मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल जरुर करे. साथ ही इस्तेमाल करने से पहले आप त्वचा रोग विशेषज्ञ से सलाह ले लें. 

किंग सोडा का त्वचा के लिए लाभ (Baking Soda benefits for skin in hindi)

  • बहुत से लोग कई तरह की त्वचा सम्बन्धी अनचाही बीमारियों से ग्रसित रहते है, जैसे कि रैसेज, पिगमेंटेशन, एकने, त्वचा की एलर्जी, चकत्ते इत्यादि परेशानियों से जूझते रहते है. लेकिन इन सभी समस्यायों को बहुत ही कम लागत में बेकिंग सोडा का इस्तेमाल कर इसका समाधान निकाला जा सकता है.
  • इसके अलावा यह त्वचा को गोरा बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. चुकि बेकिंग सोडा पीएच तटस्थता और सोडियम से बना होता है जो कि त्वचा के मृत कोशिकाओं को हटा देती है.
  • बेकिंग सोडा का नियमित रूप से इस्तेमाल करने से त्वचा सफ़ेद, मुलायम और चमकदार बनेगी, क्योकिं बेकिंग सोडा में एंटी बैक्टीरिया, एंटी फंगल, एंटीसेप्टिक और एंटी इंफ्लेमेटरी जैसे संक्रमण को रोकने वाले गुण मौजूद रहते है. जिस वजह से ये त्वचा पर मौजूद तेल को साफ करके उसके रोमछिद्र को पोषित करते हुए बढ़ने से रोकता है यह अतिरिक्त तेल को सोख कर या अवशोषित कर त्वचा को गहराई से साफ़ करता है.

बेकिंग सोडा का बालों के लिए लाभ (Baking Soda benefits for hair)

बेकिंग सोडा त्वचा के साथ साथ बालों के लिए भी लाभदायक है. बालों में ग्रोथ लाने के लिए शैम्पू की जगह इसका इस्तेमाल भी किया जा सकता है, यह सुरक्षित और सस्ता उत्पादन है जो प्राकृतिक रूप से बालों को साफ़ करता है.

  • कई बार बालों में शैम्पू करने के बाद हमे यह लगता है कि हमारे बाल अच्छे से धुले नहीं है, इस स्थिति में बेकिंग सोडा हमारे लिए सहायक होता है. बेकिंग सोडा युक्त पानी से बाल धोने पर वह शैम्पू या कंडिशनर के अवशेषों को हमारे बाल से पूरी तरह से निकाल कर उसे साफ़ और चमकता हुआ बनाता है.
  • जो भी व्यक्ति तैराकी करते है, उन्हें अपने बालों को सुरक्षित रकने के लिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करना चाहिए. क्योकि यह बालों से क्लोरिन हटाता है, क्लोरिन बालों को नुकसान पहुंचाता है. इसके प्रभाव से बालों के रंग भी बदल सकते है. बेकिंग सोडा युक्त पानी बालों के नुकसान होने से हमारी सुरक्षा करते है.
  • बेकिंग सोडा से आपके बाल शैम्पू की अपेक्षा ज्यादा अच्छी तरह से साफ़ होते है, अच्छे से साफ होने की वजह से आपके बाल लम्बे और मजबूत होने के साथ बढ़ते भी बहुत तेजी में है. इसके लिए आप एक चम्मच बेकिंग सोडा और 6 चम्मच सेव साइडर विनेगर को पानी में मिला कर इसका इस्तेमाल करें.   

बेकिंग सोडा का दांतों के लिए लाभ (Baking Soda benefits for teeth)

  • अगर आप दांतों को चमकता हुआ देखना चाहते है तो बेकिंग सोडा इसमें सहायक हो सकता है. इसके लिए आप नींबू की कुछ बूंदों के साथ बेकिंग सोडा आधा चम्मच तक मिलाकर इसका पेस्ट तैयार कर ले, फिर इसे ब्रश या उँगलियों की सहायता से गंदे दांतों पर लगा कर 2 मिनट के लिए स्क्रब करे फिर इसे सादे पानी से धो ले. यह प्रक्रिया आप हर एक दिन बाद आजमां सकती है.
  • आप अगर चाहे तो जो भी आप टूथ पेस्ट का इस्तेमाल करते है हर रोज उस पेस्ट के साथ अगर थोड़े से बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करे, और सामन्यतः आप जैसे ब्रश करते है वैसे ही करे तो भी यह दांतों को साफ़ करने में कारगर होगा. इस प्रक्रिया को कम से कम दो हफ़्तों तक अपनाने के बाद आपको खुद दांतों की सफेदी में अंतर दिखने लगेंगे.
  • नियमित रूप से ब्रश करने से यह दांतों पर जमें कैविटी को ख़त्म कर देता है साथ ही ब्रश करने से दांतों से जो खून निकलने लगता है उसे ये रोकने में मदद करता है. इसके अलावा ये मुंह से आने वाली बदबू को भी खतम कर देता है.
  • बेकिंग सोडा को अगर सीधे तौर पर लिया जाये तो इसका स्वाद उतना अच्छा नहीं होता है, इसलिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल दांतों पर करने से पहले ये सुनिश्चित कर ले कि आपका टूथ ब्रश नरम हो साथ ही दांतों पर ज्यादा जोर देने वाला न हो.
  • आप कभी भी 2 मिनट से ज्यादा ब्रश नहीं करे, क्योकिं बेकिंग सोडा एक हल्का अपघर्षक है जो दांतों के ऊपरी परत को नुकसान पंहुचा सकते है.
  • बेकिंग सोडा को अगर आप इस्तेमाल करना चाहते है तो पहले आप अपने दांत के डॉ. से अपने दांतों को दिखा कर परामर्श ले कि आप के दांत इसके उपयोग के लिए उपयोगी है या नहीं.     

बेकिंग सोडा का स्वास्थ्य के लिए लाभ (Baking Soda benefits for health)

डॉ. मर्कोला के अनुसार 1930 के दशक में बेकिंग सोडा को एक चिकित्सा एजेंट के रूप में प्रमाणित कर दिया गया है. यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक है.

  • यदि आप किसी भी तरह के दुर्गन्ध जैसे कि डीयोदेरेंट या एंटीपेर्स्पिरंट्स से बचना चाहते है, तो इसके लिए थोडा सा बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर इसका उपयोग करे तो यह दुर्गन्ध को दूर करने में सहायक होता है.
  • कीड़े के काटने पर अगर खुजली या जहर का अंदेशा हो तो बेकिंग सोडा को पानी में मिलकर प्रभावित स्थान पर धोने से राहत मिलती है. आप चाहे तो इसे त्वचा पर सूखे रूप में भी रगड़ सकते है यह जहर को काटने में मदद करेगा.
  • अल्सर के दर्द और अपच होने पर भी इसका उपयोग अगर किया जाये तो यह राहत देता है. इसका उपयोग करने के लिए आधे चम्मच बेकिंग सोडा को आधे ग्लास पानी में मिलाकर हर दो घंटे में लेने से गैस या अपच में राहत मिलेगी.
  • पैरों को साफ़ रखने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है, यह एक्स्फोलीअटर के रूप में त्वचा की साफ़ सफाई करता है. एक पानी से भरे टब में आप बेकिंग सोडा तीन बड़े चम्मच डाल कर उसमे पैरो को डुबों कर थोड़ी देर के लिए रखे, फिर इसे रगड़ कर साफ़ कर ले. इससे पांव साफ़, मुलायम और कोमल हो जायेंगे. इसके साथ ही बेकिंग सोडा को नालियों और नहाने वाले टब को भी साफ़ करने में भी इस्तेमाल किया जाता है.

बेकिंग सोडा का सेवन किस तरह से करें (How to eat Baking Soda)  

  • बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर अगर इसको पिया जाये, तो यह लम्बे समय से जकड़ी इस समस्या से जैसे गठिया, अपच, संक्रमण और गैस से मुक्ति दिला कर यह शरीर में क्षारीयता को बढ़ावा दे कर रोग को कम करने में सहायक है.
  • बेकिंग सोडा को खाना बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है, पूड़ियों के लिए तैयार किये जाने वाले आटे में इसका उपयोग होता है. अगर आप काबुली चने की सब्जी या छोले बना रहे है, तो उसे जल्दी पकाने के लिए भी सब्जी में आधे छोटे चम्मच बेकिंग सोडा डाल कर इसका उपयोग किया जाता है.
  • बेकिंग सोडा को आमतौर पर एंटीसिड भी कहा जाता है जिसका अर्थ है एसिड को निष्क्रिय कर देने वाला, इस वजह से पेट से सम्बंधित समस्यायां दूर हो जाती है. इसके सेवन से गुर्दे में पथरी की समस्या से निजात पाई जा सकती है, साथ ही मूत्र रोग और रक्त को साफ़ करने में भी सहायक होता है.
  • खेल में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए पानी के साथ बेकिंग सोडा को मिलाकर खिलाडियों द्वारा ग्रहण किया जाता है, क्योकि इसमें लैक्टिक एसिड को बढ़ाने की क्षमता होती है जिस वजह से खिलाडियों के मांसपेशियों में खिचाव नहीं होता है और वो थकते भी जल्दी नहीं है.